चंबल मीडिया एक डिजिटल मीडिया सोशल एंटरप्राइज़ है जिसकी स्थापना 2015 में ग्रामीण और शहरी मीडिया प्रैक्टिशनर्स की एक टीम द्वारा की गई थी, जिसे विशेष रूप से ग्रामीण दर्शकों के साथ और उनके लिए स्थानीय भाषा सामग्री का उत्पादन करने का 20 से अधिक सालों का अनुभव है। चंबल मीडिया की स्थापना भारत में डिजिटल/इंटरनेट क्रांति लाने के मिशन के साथ हाशिये पर रह रहीं महिलाओं के दृष्टिकोण और उनकी भागीदारी को लाने के लिए की गई थी।
विविधता हमारी जड़, हमारी नींव है : मीडिया उत्पादों के उत्पादन के अलावा, हम ग्रामीण जिलों में रह रही महिलाओं को ट्रेनिंग द्वारा प्रशिक्षित करते हैं और उन्हें शोधकर्ताओं और सामग्री निर्माता (कंटेंट क्रिएटर) के रूप में तैयार करते हैं। जिसके बाद इनमें से अधिकतर महिलाएं हमारे क्रन्तिकारी नेटवर्क व नए भारत के नए मीडिया पेशेवरों का हिस्सा बन जाती हैं।
हम इस बात पर विश्वास करते हैं कि समाज को सबसे हाशिये पर रहने वाले लोगों के नज़रिये से समझना बेहद शक्तिशाली और परिवर्तनकारी हो सकता है। जो कि सामाजिक परिवर्तन के लिए ज़रूरी भी है। इसके साथ ही समुदायों द्वारा हाइपरलोकल सामग्री उत्पादित करना सबसे बड़े लोकतंत्र को जवाबदेही तक बनाये रखने की चाभी है।
हम इस नज़रिये के साथ स्थानीय, राष्ट्रिय व इंटरनेशनल दर्शकों के लिए युथ (युवा), जेंडर (लिंग), टेक्नोलॉजी, विकास, कल्चर (संस्कृति), शार्ट फीचर डॉक्यूमेंट्री और लाइव डिबेट (बहस) मल्टीमीडिया द्वारा उत्पादित करते हैं। हम इस मीडिया उत्पाद को उस आखिरी छोर तक ले जाने में रुचि रखते हैं जहां सटीक, प्रासंगिक समाचार और जानकारी, स्थानीय और वैश्विक पड़ाव पर शायद ही कभी देखी या सुनी जाती है। ऑनलाइन व ऑफलाइन दर्शकों को जोड़ने के लिए हमने सोशल मीडिया नेटवर्कों के साथ-साथ ओपन (खुले) प्लेटफार्म जैसे यूट्यूब और ओपन-एयर कम्युनिटी इवेंट्स का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही हम राष्ट्रिय स्तर पर कस्टमाइज़्ड डिजिटल मीडिया अभियानों की योजना बनाते हैं और उसे क्रियान्वित भी करते हैं।
अपने 2 दशकों के इतिहास में चंबल मीडिया और ख़बर लहरिया ने 500 से ज़्यादा महिलाओं को ऑफलाइन डिजिटल स्टोरीटेलिंग के लिए प्रशिक्षित करने का काम किया है। चंबल अकादमी इस प्रभाव को और भी तेज़ी देना चाहती है। चंबल अकादमी ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल जनता से जुड़ने, कहानीकार बनने और बदलाव के लिए सहायक बनने हेतु उन्हें प्रशिक्षित कर उन्हें तैयार करने का काम करेगी।
सबसे पहला कोर्स जो लॉन्च किया गया था वह था - ऑनलाइन ग्रामीण मोबाइल पत्रकारिता पाठ्यक्रम / ऑनलाइन रूरल मोबाईल जर्नलिज्म कोर्स। कोर्स के सिर्फ 6 महीने के पायलट में यूपी, एमपी और बिहार की 270 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। हर साल इसमें 20 गुना वृद्धि देखी गयी है।
चंबल अकादमी में हमारा मिशन है:
"ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों के लिए एक ऑनलाइन सीखने की जगह बनाना; जो उनकी सामाजिक और भौगोलिक जरूरतों के अनुसार डिज़ाइन किया गया हो ; यह सुनिश्चित करना कि इन महिलाओं और लड़कियों की आवाज़ और उपस्थिति भारत के डिजिटल भविष्य का एक प्रमुख हिस्सा हो।"
हम इस बात पर विश्वास करते हैं कि ऑनलाइन सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों की समान भागीदारी के साथ हम डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन नौकरियां की अधिक पहुँच, इसके साथ ही हाशिये पर रहने वाली महिलाओं और लड़कियों का एक बहुल प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा।
ख़बर लहरिया नैतिक और स्वतंत्र ग्रामीण समाचारों का, देश का एकमात्र महिला संचालित ब्रांड है। ख़बर लहरिया कई डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए एक महीने में 10 मिलियन दर्शकों तक पहुंचती है। केएल के पास उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में महिला पत्रकारों और स्ट्रिंगरों का एक नेटवर्क है।
लोकल का यह मॉडल, जहां एम्बेड रिपोर्टर अपने ही समुदाय में एक अंदरूनी सूत्र के रूप में रिपोर्टिंग करते हैं, जहां उन्हें उन छोटे कस्बों की समस्यायों के बारे में गहन और बारीक जानकारी होती है, यह खबर लहरिया को अनोखा बनाता है। खुद को स्थानीय भाषा के अख़बार की शृंख्ला में स्थापित करने के बाद अब खबर लहरिया पिछले तीन सालों से पूरी तरह डिजिटल हो गयी है। साथ ही केएल यूपी व एमपी के ऐसे क्षेत्रों से वीडियो के ज़रिये न्यूज़ सेवायें प्रदान करती है जहां अन्य मीडिया की पहुँच नहीं है।