पहले,मुझे मोबाइल से वीडियो बनाने और सेल्फ़ी लेने का कोई शौक़ नहीं था लेकिन जब मैंने चंबल अकादमी के कोर्स में दाखिला लिया तो मैंने यहां फोटो लेना और वीडियो बनाना सीखा। अब मुझे यह करने में बहुत मज़ा आता है। आज में यह कोर्स अन्य छात्रों को भी पढ़ा रही हूँ।
चंबल अकादमी के ज़रिये मैंने एक पत्रकार के बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज़ सीखी, वह है लोगों का विश्वास। मेरे मन में काम को लेकर जितना भी डर था कि मैं यह काम कर भी पाउंगी या नहीं, इन सब चीज़ों का मैंने डटकर मुकाबला किया। मैंने यह भी सीखा कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से कैसे बात की जा सकती है, कैसे जानकारी प्राप्त की जा सकती है जो की हमें अन्य महत्वपूर्ण जानकारी की तरफ लेकर जाता है।
मुझे चंबल अकादमी में अपना कोर्स करने में बहुत मज़ा आया। मुझे अकादमी द्वारा दिया गया सहयोग बहुत अच्छा लगा क्यूंकि अगर हमें किसी भी चीज़ में कोई दिक्कत होती तो हम उन्हें कभी-भी किसी भी समय मैसज या कॉल करके पूछ लेते हैं। जब मैं अपनी बहन या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के साथ बाहर जाती हूँ तो मैं चीज़ों की तरफ इशारा करते हुए उन्हें बताती हूँ कि यह न्यूज़ बन सकती है या नहीं या यहां से अच्छा शॉट मिल सकता है या नहीं। इस कोर्स ने कहीं न कहीं मेरे परिवार के विचारों को भी विकसित करने का काम किया है।
जो महिलायें हाशिये पर बसे समुदायों से निकल कर आती हैं उन्हें खुद को और बेहतर बनाने का मौका मिलता है। आपको ज़रुरत है तो बस जूनून की और आप भी सबकी तरह कंधे से कंधा मिलाकर, सिर ऊंचाकर करकर चल सकते हैं।
मैंने एक महीने का कोर्स किया। कोर्स के ज़रिये जो मैंने सबसे बड़ी चीज़ हासिल की वह थी मेरे अंदर की झिझ, जिससे मैं अब आज़ादी हो गयी हूँ। पहले मुझे लोगों से बात करने में डर लगता था लेकिन अब मैं निडर होकर इंटरव्यू करती हूँ, पब्लिक में जाती हूँ और वहां पीटूसी करती हूँ।
मैनें खबरों को पहचानना और उसे कैसे रिपोर्ट करते हैं, वह सीखा। मैंने पहले पत्रकारों के बारे में सुना था लेकिन मैं यह नहीं जानती थी कि असल में वह क्या काम करते हैं। लेकिन यहां हम महिलाओं को कुछ नया जानने का मौका मिला, जुड़ने का मौका मिला। अमूमन जब भी कोई अवसर आता है तो उसे पुरुषों द्वारा छीन लिया जाता है और हम महिलाओं के लिए ऐसे में बहुत कम जगह रह जाती है। एक मौके को पाने के लिए घर और समाज से लड़ना पड़ता है। अगर हमारे लिए कहीं जगह ही नहीं होगी तो महिलाओं को लाभ मिल ही नहीं सकता जो चंबल अकेडमी हमें दे रही है।
सामुदायिक पहुँच और मीडिया के लिंग-परिवर्तन उपयोग में उनके व्यापक अनुभव को देखते हुए, चंबल मीडिया ने अपनी फिल्म प्रोजेक्ट्स कैंपेन के लिए हर एंड नाउ फिल्म किट तैयार की है। किट भारत में महिला एंटरप्रेन्योरशिप (उद्यमियों) पर परस्पर चर्चाओं और क्रियाकलापों के साथ फिल्म आयोजित करने के लिए एक संतुलित निशा-निर्देश के रूप में काम करती है। अभी तक इस किट को जहां-जहां उपयोग में लाया गया, वहां लोगों द्वारा इसे पसंद किया गया। हर एंड नाउ के बहुत सारे फैसिलिटेटर द्वारा स्क्रीनिंग कार्यक्रमों के दौरान इस किट को सरहाया गया यहां तक की पूर्वोत्तर भारत के राजस्थान में भी। इस तरह दर्शकों के बीच महिला उद्यमियों की क्षमता के बारे में लिंग रूढ़िवादिता और सकारात्मक मानसिकता परिवर्तन के बारे में एक प्रतिबिंब को प्रेरित करने की उम्मीद है।
चंबल अकादमी द्वारा शुरू किये गए महत्वपूर्ण पहल को लेकर बधाई। आपके द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग और दिशा-निर्देश के बारे में मैंने अपनी सहयोगी शिवानी से सिर्फ अच्छे फीडबैक (प्रतिक्रिया) ही सुनें हैं। मैनें यह महसूस किया कि भारत में हमारे कुछ साथी पहले ही वीडियो में दृश्यों के द्वारा कहानी कहने वाले तत्वों का इस्तेमाल कर रहें हैं जो ज़मीनी तौर पर उनके द्वारा किये जाने वाले काम को और भी ज़्यादा प्रभावशाली तौर पर दिखाते हैं। इसके साथ ही कहानी को सरल तरह से अपनी धारणाओं और कौशल से प्रस्तुत करना चीज़ों पर जल्दी प्रभाव डाल सकता है।
चंबल मीडिया एक डिजिटल मीडिया सोशल एंटरप्राइज़ है जिसकी स्थापना 2015 में ग्रामीण और शहरी मीडिया प्रैक्टिशनर्स की एक टीम द्वारा की गई थी, जिसे विशेष रूप से ग्रामीण दर्शकों के साथ और उनके लिए स्थानीय भाषा सामग्री का उत्पादन करने का 20 से अधिक सालों का अनुभव है। चंबल मीडिया की स्थापना भारत में डिजिटल/इंटरनेट क्रांति लाने के मिशन के साथ हाशिये पर रह रहीं महिलाओं के दृष्टिकोण और उनकी भागीदारी को लाने के लिए की गई थी।